• Skip to primary navigation
  • Skip to main content
  • Skip to primary sidebar
hindistatusadda.com

hindistatusadda.com

  • Love
  • Suvichar
  • Friendship
  • Motivational
  • Life
You are here: Home / Status / भगवद गीता क्वोट्स (कृष्ण के उपदेश) हिंदी में

भगवद गीता क्वोट्स (कृष्ण के उपदेश) हिंदी में

प्रत्येक कर्म को कर्त्तव्य मात्रा समझकर करना चाहिए, स्वरुप से कर्मो का त्याग करने से तो बंधन होता है पर सम्बन्ध न जोड़कर कर्त्तव्य मात्रा समझ कर कर्म करने से मुक्ति होती है।

आपके सार्वलौकिक रूप का मुझे न प्रारंभ, न मध्य, न अंत दिखाई दे रहा है।

मेरा-तेरा, छोटा-बड़ा, अपना-पराया, मन से मिटा दो, फिर सब तुम्हारा है तुम सबके हो ।

जो कोई भी जिस किसी भी देवता की पूजा विश्वास के साथ करने की इच्छा रखता है, मैं उसका विश्वास उसी देवता में दृढ कर देता हूँ।

हे अर्जुन! ज्ञानी व्यक्ति ज्ञान और कर्म को एक रूप में देखता है, वही सही मायने में देखता है।

कर्म मुझे बांधता नहीं, क्यूंकि मुझे कर्म के प्रतिफल की कोई इच्छा नहीं ।

लोग आपके अपमान के बारे में हमेशा बात करेंगे, सम्मानित व्यक्ति के लिए, अपमान मृत्यु से भी बदतर है।

जो मन को नियंत्रित नहीं करते, उनके लिए वह शत्रु के सामान कार्य करता है।

मनुष्य को जीवन की चुनौतियों से भागना नहीं चाहिए और न ही भाग्य और ईश्वर की इच्छा जैसे बहानों का प्रयोग करना चाहिए।

फल की अभिलाषा छोड़कर कर्म करने वाला पुरुष ही अपने जीवन को सफल बनाता है ।

हे पार्थ तू फल की चिंता मत कर अपना कर्त्तव्य कर्म कर।

जीवन ना तो भविष्य में है और ना ही अतीत में है, जीवन तो केवल इस पल में है अर्थात इस पल का अनुभव ही जीवन है।

समय से पहले और भाग्य से अधिक कभी किसी को कुछ नही मिलता है।

अपने लिए कुछ न करने से कर्मो से सम्बन्ध टूट जाता है जिसे निष्काम कर्म कहा जाता है।

मनुष्य का मन इन्द्रियों के चक्रव्यूह के कारण भ्रमित रहता है। जो वासना, लालच, आलस्य जैसी बुरी आदतों से ग्रसित हो जाता है। इसलिए मनुष्य का अपने मन एवं आत्मा पर पूर्ण नियंत्रण होना चाहिए।

साधारण मनुष्य शरीर को व्यापक मानता है, साधक परमात्मा को व्यापक मानता है। जैसे शरीर और संसार एक है ऐसे ही स्वयं और परमात्मा एक है।

आज जो कुछ आपका है, पहले किसी और का था और भविष्य में किसी और का हो जाएगा, परिवर्तन ही संसार का नियम है।

किसी और का काम पूर्णता से करने से कहीं अच्छा है कि अपना काम करें, भले ही उसे अपूर्णता से करना पड़े।

पूर्णता के साथ किसी और के जीवन की नकल कर जीने की तुलना में अपने आप को पहचानकर अपूर्ण रूप से जीना बेहतर है।

मन अशांत है और उसे नियंत्रित करना कठिन है, लेकिन अभ्यास से इसे वश में किया जा सकता है।

तुम खुद अपने मित्र हो और खुद ही अपने शत्रु।

भय का आभाव, अनन्तःकरण की निर्मलता, तत्ज्ञान के लिए ध्यानयोग में स्थिति, दान, गुरुजन की पूजा, पठन पाठन, अपने धर्म के पालन के लिए कष्ट सहना, ये दैवीय सम्प्रदा के लक्षण है।

व्यक्ति जो चाहे बन सकता है यदी वह विश्वास के साथ इच्छित वस्तु पर लगातार चिंतन करे।

प्रबुद्ध व्यक्ति के लिए, गंदगी का ढेर, पत्थर, और सोना सभी समान हैं।

मानव कल्याण ही भगवत गीता का प्रमुख उद्देश्य है। इसलिए मनुष्य को अपने कर्तव्यों का पालन करते समय मानव कल्याण को प्राथमिकता देना चाहिए।

कभी ऐसा समय नहीं था जब मैं, तुम,या ये राजा-महाराजा अस्तित्व में नहीं थे, ना ही भविष्य में कभी ऐसा होगा कि हमारा अस्तित्व समाप्त हो जाये।

बुद्धिमान व्यक्ति कामुक सुख में आनंद नहीं लेता।

जो भी नए कर्म और उनके संस्कार बनते है वह सब केवल मनुष्य जन्म में ही बनते है, पशु पक्षी आदि योनियों में नहीं, क्यों की वह योनियां कर्मफल भोगने के लिए ही मिलती हैं।

हे अर्जुन, समता ही योग है सुख दुःख, लाभ हानि, मान अपमान, सर्दी गर्मी सब में सम रहो।

मैं करता हूँ, ऐसा भाव उत्पन्न होता है इसको ही अहंकार कहते है।

वह जो वास्तविकता में मेरे उत्कृष्ट जन्म और गतिविधियों को समझता है, वह शरीर त्यागने के बाद पुनः जन्म नहीं लेता और मेरे धाम को प्राप्त होता है।

दम्भ, अहंकार, घमंड, क्रोध, अज्ञान, ये आसुरी सम्प्रदा के लक्षण है।

हे अर्जुन तू युद्ध भी कर और हर समय में मेरा स्मरण भी कर।

हे अर्जुन, केवल भाग्यशाली योद्धा ही ऐसा युद्ध लड़ने का अवसर पाते हैं जो स्वर्ग के द्वार के सामान है।

इंसान अपने विश्वास से निर्मित होता है, जिस प्रकार वह विश्वास करता है उसी प्रकार वह बन जाता है।

ऐसा कुछ भी नहीं, चेतन या अचेतन, जो मेरे बिना अस्तित्व में रह सकता हो।

निद्रा, भय, चिंता, दुःख, घमंड आदि दोष तो रहेंगे ही, दूर हो ही नहीं सकते। ऐसा मानने वाले मनुष्य कायर है।

भय, राग द्वेष और आसक्ति से रहित मनुष्य ही इस लोक और परलोक में सुख पाते है।

भगवान प्रत्येक वस्तु में है और सबके ऊपर भी।

अपने अनिवार्य कार्य करो, क्योंकि वास्तव में कार्य करना निष्क्रियता से बेहतर है।

आत्म-ज्ञान की तलवार से काटकर अपने ह्रदय से अज्ञान के संदेह को अलग कर दो। अनुशाषित रहो।

हे अर्जुन!, मैं भूत, वर्तमान और भविष्य के सभी प्राणियों को जानता हूँ, किन्तु वास्तविकता में कोई मुझे नहीं जानता।

दैवीय सम्प्रदा से युक्त पुरुष में भय का सर्वथा आभाव और सबके प्रति प्रेम का भाव होता है।

हे अर्जुन! हम दोनों ने कई जन्म लिए हैं, मुझे याद हैं, लेकिन तुम्हे नहीं।

  • Elon Musk Lines
  • Married Life Shayari
  • Whatsapp Love Status 🙂
  • Chanakya Niti in Hindi
  • Bill gates powerful quotes

समय से पहले और भाग्य से अधिक किसी को कुछ नहीं मिलता।

अप्राकृतिक कर्म बहुत तनाव पैदा करता है।

धरती पर जिस प्रकार मौसम में बदलाव आता है, उसी प्रकार जीवन में भी सुख-दुख आता जाता रहता है।

मैं सभी प्राणियों को समान रूप से देखता हूँ, ना कोई मुझे कम प्रिय है ना अधिक, लेकिन जो मेरी प्रेमपूर्वक आराधना करते हैं वो मेरे भीतर रहते हैं और मैं उनके जीवन में आता हूँ।

भगवान से ही सब उत्पन्न होता है और भगवान से ही सबकी चेष्टा हो सही है अर्थात सबके मूल में भगवान ही है।

सदैव सन्दहे करने वाले व्यक्ति के लिए प्रसन्नता न इस लोक में है न ही कही और।

वह जो सभी इच्छाएं त्याग देता है और मैं और मेरा की लालसा और भावना से मुक्त हो जाता है उसे शांति प्राप्त होती है।

व्यक्ति जो चाहे बन सकता है यदि वह विश्वास के साथ इच्छित वस्तु पर चिंतन करें।

वह जो मृत्यु के समय मुझे स्मरण करते हुए अपना शरीर त्यागता है, वह मेरे धाम को प्राप्त होता है। इसमें कोई शंशय नहीं है।

ज्ञानी व्यक्ति ज्ञान और कर्म को एक रूप में देखता है, वही सही मायने में देखता है।

जन्म लेने वाले के लिए मृत्यु उतनी ही निश्चित है जितना कि मृत होने वाले के लिए जन्म लेना। इसलिए जो अपरिहार्य है उस पर शोक मत करो।

मेरी कृपा से कोई सभी कर्तव्यों का निर्वाह करते हुए भी बस मेरी शरण में आकर अनंत अविनाशी निवास को प्राप्त करता है।

मनुष्य अपनी वासना के अनुसार ही अगला जन्म पाता है।

जीवन न तो भविष्य में है न अतीत मैं, जीवन तो बस इस पल मैं है।

मन की गतिविधियों, होश, श्वास, और भावनाओं के माध्यम से भगवान की शक्ति सदा तुम्हारे साथ है और लगातार तुम्हे बस एक साधन की तरह प्रयोग कर के सभी कार्य कर रही है।

मैं उन्हें ज्ञान देता हूँ जो सदा मुझसे जुड़े रहते हैं और जो मुझसे प्रेम करते हैं।

उत्पन्न होने वाली वस्तु तो स्वतः ही मिटती है, जो वस्तु उत्पन्न नहीं होती वह कभी नहीं मिटती। आत्मा अजर अमर है, शरीर नाशवान है।

प्रबुद्ध व्यक्ति सिवाय ईश्वर के किसी और पर निर्भर नहीं करता।

मेरे लिए ना कोई घृणित है ना प्रिय, किंतु जो व्यक्ति भक्ति के साथ मेरी पूजा करते हैं, वह मेरे साथ हैं और मैं भी उनके साथ।

जो हुआ वह अच्छे के लिए हुआ है, जो हो रहा है वह भी अच्छे के लिए ही हो रहा है, और जो होगा वह भी अच्छे के लिए ही होगा।

जो कार्य में निष्क्रियता और निष्क्रियता में कार्य देखता है वह एक बुद्धिमान व्यक्ति है।.

मैं केवल भगवान् का हूँ और भगवान मेरे है ऐसा मानने मात्रा से भगवान् से सम्बन्ध जुड़ जाता है।

संसार के सयोग में जो सुख प्रतीत होता है, उसमे दुःख भी मिला रहता है, परन्तु संसार के वियोग से सुख दुःख से अखंड आनंद प्राप्त होता है।

यह संसार हर क्षण बदल रहा है और बदलने वाली वस्तु असत्य होती है।

अहम् भाव ही मनुष्य में भिन्नता करने वाला है, अहम् भाव न रहने से परमात्मा के साथ भिन्नता का कोई कारण ही नहीं है।

अच्छे कर्म करने के बावजूद भी लोग केवल आपकी बुराइयाँ ही याद रखेंगे, इसलिए लोग क्या कहते है इस पर ध्यान मत दो, अपने कार्य करते रहो।

जो मनुष्य जिस प्रकार से ईश्वर का स्मरण करता है उसी के अनुसार ईश्वर उसे फल देते हैं। कंस ने श्रीकृष्ण को सदैव मृत्यु के लिए स्मरण किया तो श्रीकृष्ण ने भी कंस को मृत्यु प्रदान की। अतः परमात्मा को उसी रूप में स्मरण करना चाहिए जिस रूप में मानव उन्हें पाना चाहता है।

जो व्यक्ति आध्यात्मिक जागरूकता के शिखर तक पहुँच चुके हैं, उनका मार्ग है निःस्वार्थ कर्म जो भगवान् के साथ संयोजित हो चुके हैं उनका मार्ग है स्थिरता और शांति।

कर्म मुझे बांध नहीं सकता क्यों की मेरी कर्म के फल में आसक्ति नहीं है।

सज्जन पुरुष अच्छे आचरण वाले सज्जन पुरुषो में, नीच पुरुष नीच लोगो में ही रहना चाहते है। स्वाभाव से पैदा हुई जिसकी जैसी प्रकृति है उस प्रकृति को कोई नहीं छोड़ता।

निर्माण केवल पहले से मौजूद चीजों का प्रक्षेपण है।

अपने परम भक्तों, जो हमेशा मेरा स्मरण या एक-चित्त मन से मेरा पूजन करते हैं, मैं व्यक्तिगत रूप से उनके कल्याण का उत्तरदायित्व लेता हूँ।

मनुष्य अपने विश्वास से निर्मित होता है। जैसा वह विश्वास करता है वैसा वह बन जाता है।

कर्म मुझे बांधता नहीं, क्योंकि मुझे कर्म के प्रतिफल की कोई इच्छा नहीं।

फल की अभिलाषा छोड़कर कर्म करने वाला पुरुष ही अपने जीवन को सफल बनाता है।

हे अर्जुन! मन की गतिविधियों, होश, श्वास, और भावनाओं के माध्यम से भगवान की शक्ति सदा तुम्हारे साथ है।

श्रेष्ठ पुरुष को सदैव अपने पद और गरिमा के अनुरूप कार्य करने चाहिए। क्योंकि श्रेष्ठ पुरुष जैसा व्यवहार करेंगे, तो इन्हीं आदर्शों के अनुरूप सामान्य पुरुष भी वैसा ही व्यवहार करेंगे।

सभी अच्छे काम छोड़ कर बस भगवान में पूर्ण रूप से समर्पित हो जाओ, मैं तुम्हे सभी पापों से मुक्त कर दूंगा। शोक मत करो।

जब वे अपने कार्य में आनंद खोज लेते हैं तब वे पूर्णता प्राप्त करते हैं।

हर व्यक्ति का विश्वास उसकी प्रकृति के अनुसार होता है।

  • Elon Musk Lines
  • Married Life Shayari
  • Whatsapp Love Status 🙂
  • Chanakya Niti in Hindi
  • Bill gates powerful quotes

Primary Sidebar

Follow On Social Media:-

Search:-

Recent Posts

  • भगवद गीता क्वोट्स (कृष्ण के उपदेश) हिंदी में
  • बिल गेट्स Thoughts in Hindi | Quotes by Bill
  • चाणक्य नीति हिंदी में । चाणक्य द्वारा बोली गयी लाईन्स
  • एलोन मस्क के द्वारा कही गयी बाते/विचार
  • शादी की सालगिरह विश करने के लिये शायरी (हिंदी में)

  • About Us
  • Disclaimer
  • Terms & Conditions
  • Privacy Policy
Go to mobile version